Alwar Shiv Temple Itihas In Hindi
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अलवर का शिव मंदिर बहुत ही पुराना मंदिर है। ऐसा माना जाता है कि ऐसी मंदिर 300 साल पुराना है। यह शिव मंदिर कब बना और यह किस तरह पूजनीय है। और इसके इतिहास क्या है। आज किस पोस्ट में आपको हम बताएंगे अलवर के शिव मंदिर के बारे में पूरी जानकारी। जॉनी के लिए पोस्ट को ध्यान से पढ़े और पूरा पढ़ें।
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Alwar Shiv Temple Itihas In Hindi
हिंदू धर्म में मंदिरों को बहुत ही पवित्र जगह माना गया है। हिंदू धर्म पुराणों में बहुत सारे भगवान के अनेकों अनेक मंदिर हैं। उन्हीं में से एक है अलवर का शिव मंदिर, अलवर का शिव मंदिर बहुत ही पुराना पूजनीय मंदिर है। शोधकर्ताओं के अनुसार एवं शिव मंदिर 300 वर्ष पुराना बताया जाता है।
अलवर का शिव मंदिर पर्यटन स्थल के रूप में बहुत ही ज्यादा विविधता समेटे हुए हैं। यह मंदिर पर्यटकों को विविधता दुनिया के सबसे लोकप्रिय स्थलों में से एक बनाती है। राजस्थान में कई ऐसे जगह हैं जो पर्यटक को अपनी ओर आकर्षित कर लेते हैं। राजस्थान में आज भी कई ऐसे जगह मौजूद हैं जो पर्यटन के मामले में बहुत ही ज्यादा खास है।
ऐसे में एक ऐसी जगह है जिसका नाम है अलवर अलवर और उसके आसपास बड़ी संख्या में पर्यटकों का आना जाना लगा रहता है। और इसकी मुख्य वजह है यहां का शिव मंदिर, यहां का शिव मंदिर हिंदू धर्म के बहुत ही पवित्र शिव मंदिर है। अलवर का शिव मंदिर उन धार्मिक मंदिरों में से एक है। जो पर्यटकों को अपनी तरफ खींचता है। अलवर का शिव मंदिर वास्तुकला के चमत्कार का एक नायाब मिसाल है। यह मंदिर 300 साल पुरानी होने के बावजूद बहुत ही सटीकता से बनाया गया है। यह मंदिर जीतना पुराना है उतना ही भक्त इस शिव मंदिर की ओर अपना रुख करते हैं।
अलवर में 360 शिव मंदिर थे।
राजस्थान के अलवर में सरिस्का राष्ट्रीय उद्यान के बहुत करीब शिव मंदिर, लाभप्रद स्थान समेटे हुए हैं। यह शिव मंदिर पुराना होने के कारण इसे नीलकंठ मंदिर भी कहा जाता है। यह मंदिर का इतिहास यहां पर्यटकों को खींच लाती है। और यहां पर्यटकों के लिए मुख्य आकर्षक का केंद्र बन गया है।
अलवर में आज से कई वर्ष पहले 360 मंदिर हुआ करते थे। और इन मंदिरों की बनावट की थी आकर्षक थी क्या आज के जमाने में ऐसा मंदिर का निर्माण कर पाना बहुत ही मुश्किल है। हालांकि यह सभी शिव मंदिर मुगल सम्राट के समय ज्यादातर शिव मंदिर नष्ट हो गए। आक्रमण से बचने के बाद बहुत कम मंदिर बच पाए। कुछ लोगों का मानना है कि यह सभी शिव मंदिर 10 वीं शताब्दी में बनाया गया था। और इसकी एक प्रमाण है कि यहां पर गणेश भगवान की मूर्ति पर 1010 अंक प्रदर्शित किए हुए हैं। और यह इस तथ्य को बताता है कि मंदिर लगभग 1000 साल पुराना है, हालांकि इतने पुराने होने के बावजूद भी आज भी यह मंदिर अपनी भव्यता को बरकरार रखे हुए हैं।
अलवर का शिव मंदिर का निर्माण पांडवों ने करवाया था।
ऐसा कुछ लोगों का मानना है कि इस शिव मंदिर का निर्माण पांडवों द्वारा करवाया गया था। लोकप्रिय धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव ने इस भूमि को जीतने के लिए राजा जयसिंह की सेना का विरोध किया था। और इसमें वास्तव में राजा को प्रभु से प्रार्थना करने के लिए प्रेरित किया था। और उन्होंने मंदिर में पूजा करने के लिए पुजारियों को नियुक्त भी करने का निर्णय लिया गया था। आपको बता दें कि इसके एक हिस्से में भगवान शिव के समान में एक मोम हमेशा जलता हुआ रहता है।
जब भी कोई भक्त यहां पूजा यह प्रार्थना करने के लिए जाता है तो वह मंदिर के दर्शन के उपरांत मंदिर के सामने छोटी अंडाकार आकार का एक संरचना दीखता है। और यह उन विभिन्न पुजारियों की कृपा को चिन्हित करता है। जिन्हें भगवान शिव की पूजा के लिए नियुक्त किया गया था। जब आप वहा जाएंगे तो मंदिर की सीढ़ियों की तलाशी में कब्रों को देखना एक अनूठा अनुभव होगा।
अलवर के शिव मंदिर का वास्तु कला
अलवर का शिव मंदिर का वास्तु कला बहुत नायाब मिसाल है। और यह मंदिर देखने लायक है जब आप इस मंदिर में जाएंगे तो आपको अलवर में बने शिव मंदिर के दीवारों पर देवी-देवताओं और पुरुष या महिलाओं के विभिन्न आकृतियों के साथ स्पष्ट रूप से आकृति देखने को मिल जाएगी। इन मंदिरों के स्तंभों को देखेंगे तो आपको ऐसा लगेगा जैसे मेवाड़ के बरेली के स्तंभ हो।
भगवान शिव के इस मंदिर में कई गुंबद भी मौजूद हैं। 24 गुंबद के नजदीक जाएंगे तो आपको भगवान ब्रह्मा विष्णु और महेश शिव का समर्पित रूप से प्रतिमा देखने को मिल जाएगी। इस मंदिर के एक एक मूर्ति पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती है। और आप राजस्थान की भ्रमण पर निकले हैं तो आपको अलवर का शिव मंदिर जरूर देखना चाहिए। क्योंकि यह मंदिर बहुत ही पुराना शिव मंदिर है।
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